परिषदीय विद्यालयों के मध्याह्न भोजन के गुणवत्ता की परख खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन प्रयोगशाला में करेगा। विभाग प्रति माह रैंडम आधार पर दस विद्यालयों की रसोईं से नमूने लेगा। विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग ने खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन को जांच के लिए पत्र लिखा है।जनपद में 2372 परिषदीय विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। विद्यालयों में रसोइयों की तैनाती के साथ कोटे की दुकानों से राशन देते हुए कनवर्जन कॉस्ट का भुगतान किया जाता है।मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) अभियान चलाया है। इसके विद्यार्थियों को दिए जाने वाले भोजन के गुणवत्ता पर विशेष नजर रखी जा रही है। विभाग प्रतिमाह रैंडम आधारपर दस विद्यालयों की रसोई से नमूने लेकर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम की मदद से प्रयोगशाला में जांच कराएगा।भोजन के नमूने एकत्र करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को पत्र लिखा है। बीएसए भूपेंद्र सिंह ने बताया कि भोजन की गुणवत्ता परखने के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग से जांच कराई जाएगी। विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए शासन ने निर्णय लिया है। यह है मध्याह्न भोजन का मेन्यू – सोमवार को रोटी, सोयाबीन की बड़ी युक्त सब्जी और मौसमी फल दिया जाता है। मंगलवार को चावल, सब्जी और दाल जबकि बुधवार को सब्जी तहरी और दूध दिया जाता है। बृहस्पतिवार को रोटी, सब्जी और दाल और शुक्रवार को सब्जी और तहरी भोजन में दिया जाता है। शनिवार को चावल, सब्जी और दाल परोसा जाता है। पिछले साल 230 नमूनों की हुई थी जांच – खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने पिछले साल 230 विद्यालयों से भोजन के नमूने संग्रहित किए थे। हालांकि किसी भी नमूने में कमी नहीं मिली थी। प्रयोगशाला में हुई जांच भोजन मानक के अनुरूप मिला। वहीं प्रदेश में सर्वाधिक नमूने संग्रहित करने में जनपद का नाम शामिल है।