शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत बच्चों का लॉटरी में नाम आने के बाद भी 3000 अभिभावक ऐसे हैं जो अपने बच्चों का निशुल्क दाखिला निजी स्कूलों में नहीं करवाना चाहते हैं। इसकी वजह ये है कि उन्हें मनचाहा स्कूल नहीं मिल पाया है।आरटीई के तहत आवेदन के दौरान अभिभावकों को ब्लॉक के पांच स्कूलों का विकल्प भरना होता है। इनमें से किसी एक स्कूल का नाम बच्चे के लिए नामित किया जाता है। इसमें अधिकांश अभिभावक पहले विकल्प में ब्लॉक का सबसे अच्छा विद्यालय रखते हैं। कई बार सीटें न होने के चलते बच्चे को दूसरे विकल्प वाला स्कूल मिल जाता है। इस स्थिति में अभिभावक पहले विकल्प वाला ही विद्यालय चाहते हैं। इस बार ऐसे 3000 हजार अभिभावाक हैं, जिन्होंने बच्चे का प्रवेश दूसरे विकल्प वाले स्कूल में चयन होने के बाद भी नहीं कराया है। इसमें एक हजार से अधिक अभिभावक पहले चरण में आवेदन करने वाले हैं। बाकी अन्य तीन चरणों में चयनित बच्चों के अभिभावक हैं।