Tue. Sep 9th, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिक और जूनियर कक्षाओं को पढ़ाने वाले यानी कक्षा एक से आठ तक को पढ़ाने वाले शिक्षकों के बारे में महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कक्षा एक से आठ तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को दो साल में टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास करनी होगी नहीं तो उनकी नौकरी चली जाएगी। शीर्ष अदालत का यह फैसला पूरे देश के प्राथमिक और जूनियर शिक्षकों पर समान रूप से लागू होगा। यहां तक कि उन शिक्षकों पर भी लागू होगा जिनकी नियुक्ति शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून लागू होने से पहले हुई थी। सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि जो शिक्षक नौकरी में हैं और उनकी नौकरी अभी पांच साल से ज्यादा बची हुई है, उन्हें भी नौकरी में बने रहने के लिए दो वर्ष के भीतर टीईटी पास करना होगा।नौकरी कर रहे प्राथमिक और जूनियर स्कूलों के शिक्षकों के बारे में यह महत्वपूर्ण फैसला जस्टिस दीपांकर दत्ता व जस्टिस मनमोहन की पीठ ने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सोमवार को दिया। कोर्ट ने 110 पृष्ठ का विस्तृत फैसला दिया है। अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों पर भी टीईटी पास करने की अनिवार्यता का मुद्दा भी इसमें शामिल था। पीठ ने उसे बड़ी पीठ को विचार के लिए भेज दिया है। अल्पसंख्यक संस्थान चाहे वे धार्मिक अल्पसंख्यक हों या भाषाई अल्पसंख्यक, दोनों का मुद्दा बड़ी पीठ को विचार के लिए भेजते हुए उनका मामला उचित आदेश के लिए चीफ जस्टिस के समक्ष पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अल्पसंख्यक संस्थानों के संबंध में विचार के प्रश्न तय किए हैं। जिन पर बड़ी पीठ विचार करेगी।अल्पसंख्यक संस्थानों को छोड़ कर बाकी शिक्षकों के बारे में दिए आदेश में कोर्ट ने कहा है कि आरटीई कानून के प्रविधान जैसा कि धारा 2 (एन) में कहा गया है, सभी स्कूल पालन करेंगे। कोर्ट ने कल्प कि जो शिक्षक नौकरी में है चाहें उनकी नौकरी कितनी भी लंबी क्यों न हो, उन सभी को नौकरी में बने रहने के लिए टीईटी पास करना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि वह उन लोगों की व्यावहारिक दिक्कतें समझता है जिनकी नियुक्ति आरटीई लागू होने के बहुत पहले हुई थी और जो दो या तीन दशक से नौकरी कर रहे हैं। बिना किसी गंभीर शिकायत के श्रेष्ठ क्षमता से शिक्षा दे रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं है कि जिन लोगों ने टीईटी नहीं किया है उनके पढ़ाए बच्चे जीवन में चमकते नहीं हैं। कहा कि उन्हें टीईटी न करने के आधार पर नौकरी से हटाना थोड़ा सख्त होगा। कोर्ट ने इन बातों का ध्यान रखते हुए वह अनुच्छेद 142 में प्राप्त शक्ति के तहत आदेश दिया है कि जिन शिक्षकों की नौकरी पांच साल से कम बची है, वे लोग टीईटी पास किये बगैर सेवानिवृति तक नौकरी में बने रह सकते हैं।

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